Sunday, May 26, 2019

माँ - बाप के निर्णय

यह हर पिता चाहता है कि सन्तान उनके आज और भविष्य के निर्णय में साझीदार बने ! लेकिन यह क्या ! वह तो उनके भूतकाल के निर्णय को भी अपने भौतिक लाभ - हानि के तराजू पर तोलकर उन निर्णयों पर प्रश्न चिन्ह लगाने लगा है ! जब वो था भी नही, उस समय के निर्णय को भी उसने सही और गलत का दर्जा दे दिया है , वो भी दूसरे के सामने ही नहीं अपने दिल में भी । उसे तो पता भी नही है की यह सारा निर्णय भी तो इसी के लिए था, पर पता करने की कोशिश भी कहाँ की ! और यदि कोशिश कर भी लेता तो भला पता कर कैसे पाता ! कैसे उन अनुभवो को समझ पाता जो उस पिता के दिल में था, कौन उसे बता पाता, शायद वो पिता भी अब उन अनुभवों को हु-ब-हु नहीं बता पाएगा । उसे तो स्वयं बाप होना होगा - उस अनुभव को जीने के लिए ! जब बीस वर्षों बाद उसके सन्तान उसके निर्णयों पर विश्लेषण कर रहे होंगे तब शायद वो आज के दिनों को फिर से याद कर पाएगा ।